केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पाँच भाषाओं- मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने को स्वीकृति 3 अक्टूबर, 2024 को प्रदान कर दी है।
इन भाषाओं को शामिल करने के साथ ही भारत में शास्त्रीय भाषाओं की कुल संख्या अब 11 हो गई है।
शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा प्राप्त अन्य भाषाएँ
भाषाएँ
अधिसूचना की तिथि
तमिल
12 अक्टूबर, 2004
संस्कृत
25 नवम्बर, 2005
तेलगु
31 अक्टूबर, 2008
कन्नड़
31 अक्टूबर, 2008
मलयालम
8 अगस्त, 2013
उड़िया
1 मार्च, 2014
शास्त्रीय भाषाओं के बारे में
शास्त्रीय भाषाएं भारत की गहन और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती हैं, जो प्रत्येक समुदाय की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों का सार प्रस्तुत करती हैं।
भारत सरकार ने 12 अक्टूबर, 2004 को ‘शास्त्रीय भाषाओं’ के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया था, जिसमें तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया और शास्त्रीय भाषा की स्थिति के लिए निम्न मानदंड निर्धारित किए गए-
इसके आरंभिक ग्रंथों/एक हजार वर्षों से अधिक के दर्ज इतिहास की उच्च पुरातनता।
प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक संग्रह, जिसे बोलने वालों की पीढ़ी द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता है।
साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए और किसी अन्य भाषण समुदाय से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए।
नवम्बर 2005 में मानदंडों को संशोधित किया गया और संस्कृत को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया।