केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025’ (National Cooperative Policy-2025) का अनावरण नई दिल्ली में 24 जुलाई, 205 को किया।
उद्देश्य : नीति का उद्देश्य ‘सहकार से समृद्धि’ के माध्यम से वर्ष 2047 तक एक विकसित भारत का निर्माण करना है।
प्रभावी अवधि : 2025-2045 तक
मसौदा : इस नीति का मसौदा सुरेश प्रभु की अध्यक्षता वाली 48 सदस्यीय राष्ट्रीय समिति द्वारा तैयार किया गया है।
नीति के प्रमुख बिन्दु
इस नीति का केन्द्र बिंदु गांव, कृषि, ग्रामीण महिलाएँ, दलित और आदिवासी हैं।
नीति में सहकारी क्षेत्र के लिए निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु निम्न छह स्तंभ निर्धारित किए गए हैं-
आधार को सुदृढ़ बनाना, जीवंतता को बढ़ावा देना, सहकारी समितियों को भविष्य के लिए तैयार करना, समावेशिता को बढ़ाना और पहुँच का विस्तार करना, नए क्षेत्रों में विस्तार करना और युवा पीढ़ी को सहकारी विकास के लिए तैयार करना।
इस नीति का मिशन पेशेवर, पारदर्शी, तकनीक से युक्त, जिम्मेदार और आर्थिक रूप से स्वतंत्र व सफल छोटी-छोटी सहकारी इकाइयों को बढ़ावा देना, और प्रत्येक गांव में कम से कम एक सहकारी इकाई स्थापित करना है।
वर्ष 2034 तक सहकारी क्षेत्र का देश की जीडीपी में योगदान तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य (वर्तमान में 8.30 लाख समितियाँ) है।
प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक प्राथमिक सहकारी इकाई स्थापित की जाएगी(यह प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS), प्राथमिक डेयरी, प्राथमिक मत्स्य पालन समिति, प्राथमिक बहुउद्देश्यीय पैक्स, या अन्य प्राथमिक इकाई हो सकती है)।
हर तहसील में 5-5 मॉडल सहकारी गाँव विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।
श्वेत क्रांति 2.0 के माध्यम से महिलाओं की सहभागिता को इससे जोड़ा जाएगा।
कानून में हर 10 वर्ष में आवश्यक बदलाव करने की व्यवस्था की जाएगी।
नीति में पाँच वर्षों के भीतर 2 लाख नई बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (M-PACS) स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
नीति के अंतर्गत सहकारिताओं को डेयरी, मत्स्य पालन, खाद्यान्न खरीद सहित 25 से अधिक क्षेत्रों में विस्तार करने के लिये प्रोत्साहित किया गया है।