chronology2017
Published: Feb 18 | Updated: Feb 18

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा अपना सबसे आधुनिक मौसम उपग्रह इन्सैट-3डीएस (INSAT-3DS) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से 17 फरवरी, 2024 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित (लॉन्च) किया गया।
  • इन्सैट-3डीएस (INSAT-3DS) को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एफ14 (GSLV-F14) द्वारा प्रक्षेपित किया गया।
  • 51.7-मीटर लम्बे और 4 मीटर चौडे भूसमकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल -जीएसएलवी)-एफ 14 ने इन्सैट (आईएनएसएटी)- 3डीएस उपग्रह को पहले भूसमकालिक स्थानांतरण कक्षा (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में और फिर अंतरिक्ष में भूसमकालिक स्थिर कक्षा (जियोसिंक्रोनस स्टेशनरी ऑर्बिट) में स्थापित किया गया है।
  • उद्देश्य – नया लॉन्च किया गया आईएनएसएटी(इन्सैट)-3डीएस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह, वायुमंडल, महासागरों और पर्यावरण की निगरानी को बढ़ाना, डेटा संग्रह और प्रसार और उपग्रह-सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाओं में क्षमताओं को बढ़ाना है।

उपग्रह के बारे में

  • इन्सैट (आईएनएसएटी)- 3डीएस वर्तमान में संचालित आईएनएसएटी (इन्सैट)-3डी तथा आईएनएसएटी (इन्सैट)-3डीआर इन-ऑर्बिट उपग्रहों के साथ देश की मौसम संबंधी (मौसम, जलवायु और महासागर संबंधी) सेवाओं को बढ़ाएगा।
  • यह अत्याधुनिक (I) पृथ्वी और उसके पर्यावरण की छवियां उत्पन्न करने के लिए छह-चैनल ऑप्टिकल रेडियोमीटर के साथ एक इमेजर पेलोड; (II) वातावरण के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए एक 19-चैनल साउंडर पेलोड; संचार पेलोड, (III) स्वचालित डेटा संग्रह प्लेटफार्मों से मौसम विज्ञान, जल विज्ञान और समुद्र विज्ञान डेटा प्राप्त करने के लिए एक डेटा रिले ट्रांसपोंडर, और (IV) एक उपग्रह सहायता प्राप्त खोज और बचाव ट्रांसपोंडर से सुसज्जित है जो वैश्विक कवरेज के साथ बीकन ट्रांसमीटरों से एक संकट संकेत या चेतावनी रिले करता है।
  • इन्सैट- 3डीएस उपग्रह से मौसम संबंधी डेटा का उपयोग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के संस्थानों, अर्थात् भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूवार्नुमान केंद्र (NCMRWF), भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) और विभिन्न भारतीय एजेंसियों द्वारा मौसम संबंधी अनुसंधान और सेवाओं को बढ़ाने के लिए किया जाएगा।
  • इससे भारत के मौसम और जलवायु की भविष्यवाणी और पूवार्नुमान, समय पर अलर्ट और प्रारंभिक चेतावनियाँ, और मछुआरों और किसानों जैसे सार्वजनिक और अंतिम छोर के उपयोगकताअरं के लिए सलाह को बढ़ावा मिलेगा।
  • भारतीय उद्योगों ने इन्सैट (आईएनएसएटी)- 3डीएस के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।