‘ग्लेशियर संरक्षण पर उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का आयोजन दुशांबे (ताजिकिस्तान) में 29-31 मई, 2025 को किया गया।
इस सम्मेलन में, ग्लेशियरों के संरक्षण के लिए नीतिगत सुझाव और रणनीतियाँ तैयार की गई तथा ग्लेशियरों के पिघलने के प्रभावों को संबोधित करने के लिए समाधान और नई रणनीतियों पर चर्चा की गई।
सम्मेलन में भारत ने अंतरराष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई में समानता और साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (CBDR-RC) के सिद्धांत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2025 को ‘ग्लेशियरों के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया है।
विशेष
देश ने पेरिस समझौते के तहत अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है जिसमें निम्नलिखित प्रमुख उपलब्धियां हासिल की गई हैं-
देश की स्थापित विद्युत क्षमता का 48 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अब गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा से प्राप्त होता है;
2005 और 2020 के बीच सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 36 प्रतिशत की कमी।
2005 और 2021 के बीच वन एवं वृक्ष आवरण में वृद्धि द्वारा 2.29 बिलियन टन कार्बनडाईआॅक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण।