Lok Chand Gupta
Published: Jun 13 | Updated: Jun 18

  • राजस्थान के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने असहाय, वंचित, मानसिक रूप से अक्षम, लावारिस और अज्ञात रोगियों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिए संवेदनशील पहल की है।
  • इस मानवीय पहल के तहत उक्त रोगियों को ‘राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी’ के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएँ नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जाएँगी।
  • एमओयू : इसके लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा एक संयुक्त एमओयू किया गया है।
  • एमओयू के तहत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग या देवस्थान विभाग में रजिस्टर्ड ट्रस्ट या एनजीओ के माध्यम से चिकित्सालयों में लाए जाने वाले रोगियों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाएगी।
  • ऐसे ट्रस्ट या एनजीओ को केवल यह प्रमाण पत्र जारी करना होगा कि लाया गया रोगी असहाय, वंचित, लावारिस या अज्ञात है।
    • यह प्रमाण पत्र नि:शुल्क इलाज के लिए पर्याप्त होगा।
  • चिकित्सा शिक्षा और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा एक संयुक्त समिति का गठन किया गया है, जो ट्रस्ट/एनजीओ को अधिकृत करेगी और एमओयू के आधार पर सहयोग सुनिश्चित करेगी।
  • योजना के तहत होने वाला व्यय आरएमआरएस के माध्यम से वहन किया जाएगा।

पृष्ठभूमि

  • रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, धार्मिक स्थल और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर असहाय, मानसिक रूप से अक्षम, लावारिस या अज्ञात रोगी बेसहारा स्थिति में पाए जाते थे और ऐसे व्यक्तियों को धर्मार्थ ट्रस्ट या एनजीओ द्वारा चिकित्सालयों में लाया जाता था, लेकिन पहचान पत्र (आधार/जन आधार/अन्य) के अभाव में उन्हें मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना या अन्य योजनाओं में नि:शुल्क इलाज, ऑपरेशन या इंप्लांट लगाया जाना संभव नहीं हो पाता था।