केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों को मजबूत करने के लिए नीति आयोग के रोडमैप का अनावरण किया 10 जुलाई, 2025 को किया।
‘राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों को सुदृढ़ करने के लिए रोडमैप’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र सरकार अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर देश के खर्च का लगभग 44 प्रतिशत खर्च करती है, वहीं राज्यों का योगदान मात्र 6.7 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के महत्वपूर्ण बिन्दू
तमिलनाडु अपने पेटेंट सूचना केंद्र के माध्यम से पेटेंट फाइलिंग में अग्रणी है।
पंजाब की धान की पराली की पहल ने न केवल प्रदूषण पर अंकुश लगाया है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया है।
मणिपुर में सुगंधित पौधों की खेती के कारण स्थानीय किसानों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।
सुझाव
रिपोर्ट में मंत्रालयों, राज्य सरकारों, वित्त पोषण निकायों, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों और उद्योग भागीदारों के बीच मजबूत कॉर्डिनेशन का भी आह्वान किया गया है।
राज्य सरकारों को अपनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (S&T) परिषदों को पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए और उनके शासी निकायों (गवर्निंग बॉडी) में कुछ बदलाव कर इनोवेशन और प्रौद्योगिकी आधारित विकास को प्रोत्साहित करना चाहिए।
गवर्निंग काउंसिल की अध्यक्षता राज्य के मुख्यमंत्री या विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा की जा सकती है, लेकिन उसमें विशेषज्ञों को शामिल कर उसका विस्तार किया जाना चाहिए।
प्रत्येक राज्य को अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP)का कम से कम 0.5% विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर खर्च करना चाहिए।