राजस्थान के वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संजय शर्मा ने अलवर के सरिस्का में ‘बाघिन एसटी-2 राजमाता’ के स्मारक का अनावरण 28 जून, 2025 को किया।
देश में टाईगर का यह प्रथम स्मारक है।
वर्ष 2004 में शिकार के कारण जब सरिस्का टाइगर रिजर्व (अलवर) बाघ विहीन हो गया था, तब रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से एक बाघ एसटी- 1 का 28 जून 2008 को सफलतापूर्वक सरिस्का में पुनर्वास कराया गया था।
इस उपलब्धि के साथ ही बाघ संरक्षण की जागरुकता के लिए ‘सरिस्का दिवस 2025’ का आयोजन सरिस्का परिसर में 28 जून 2025 को किया गया।
बाघिन एसटी-2 के बारे में
बाघिन एसटी-2 राजमाता बाघ का परियोजना क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
बाघिन एसटी-2 वर्ष 2008 में रणथम्भौर टाईगर रिजर्व से बाघ परियोजना क्षेत्र सरिस्का में आई तथा पुन:स्थापित की गई पहली मादा थी।
अप्रैल 2004 में प्रसिद्ध बाघिन ‘मछली टी-16’ और बाघ ‘टी-2’ की संतान के रूप में जन्मी एसटी-2 ने भारत की सबसे प्रतिष्ठित बाघ वंशावली को आगे बढाया।
‘एसटी-2’ 19 वर्ष और 8 महीने तक जीवित रहकर भारत की सबसे अधिक उम्र तक जीवित रहने वाली बाघिन बनी।
यह सरिस्का में बाघों के पूर्ण विलुप्त होने के बाद सबसे पहले शावकों को जन्म देने वाली बाघिन थी जिससे यहां बाघों की आबादी को नया जीवन मिला।
‘एसटी-2’ के वंशजों की संख्या लगभग 34 बाघों तक पहुंची जो वन्यजीव संरक्षण की सफलता का प्रतीक है।
विशेष : रणथंभौर में रानी के नाम से विख्यात रही बाघिन ‘मछली’ का भी स्टेच्यू बनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सरिस्का में राजमाता बाघिन एवं रणथंभौर में रानी बाघिन मछली के स्टेच्यू निर्माण की घोषणा राजस्थान के वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संजय शर्मा ने विधानसभा में की थी।