Lok Chand Gupta
Published: May 7 | Updated: May 7

  • केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) ने पारंपरिक चिकित्सा में देश की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दो दुर्लभ और महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक पांडुलिपियों को पुनर्जीवित किया है।
  • ‘सीसीआरएएस’ द्वारा पुनर्जीवित की गई पाण्ड़लिपियाँ- द्रव्यरत्नाकरनिघण्टु: और द्रव्यनामाकरनिघण्टु:
  • इन प्रकाशनों का अनावरण मुंबई में राजा रामदेव आनंदीलाल पोदार (आरआरएपी) केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 7 मई, 2025 को किया गया।
  • पांडुलिपियों का आलोचनात्मक संपादन और अनुवाद मुंबई के प्रसिद्ध पांडुलिपिविज्ञानी और अनुभवी आयुर्वेद विशेषज्ञ, डॉ. सदानंद डी. कामत द्वारा किया गया।
  • द्रव्यरत्नाकरनिघण्टु: के बारे में : 1480 ई. में मुद्गल पंडित द्वारा लिखित इस पहले अप्रकाशित शब्दकोश में अठारह अध्याय हैं जो औषधि के पर्यायवाची, चिकित्सीय क्रियाओं और औषधीय गुणों पर गहन ज्ञान प्रदान करते हैं।
  • द्रव्यनामाकरनिघण्टु: के बारे में : भीष्म वैद्य द्वारा रचित यह अद्वितीय कार्य धन्वंतरि निघण्टु के लिए एक स्वतंत्र परिशिष्ट के रूप में कार्य करता है।