राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी की सांगरी को भौगोलिक संकेत (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन-जीआई) टैग प्रदान किया गया है।
सांगरी का ‘जीआई टैग’ चेन्नई स्थित जियोग्राफिकल इंडिकेशन्स रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा प्रदान किया गया है।
इससे पहले सोजत मेंहदी को वर्ष 2021 में जीआई टैग प्रदान किया गया था।
‘सांगरी’ की पैदावार पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर में ज्यादा होती है।
अब इसे जीआई टैग मिलने से इसके उत्पादों का निर्यात मूल्य वर्तमान Rs 1500 से Rs 3000 प्रति किलोग्राम मिलने की उम्मीद है।
विशेष
स्वामी केशवानंद राजस्थान एग्रीकल्चर विवि ने सांगरी को जीआई टैग दिलाने में महती भूमिका निभाई है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख डॉ. सुजीत कुमार यादव के नेतृत्व में विश्वविद्यालय की टीम के प्रयासों की ओर किए गए प्रयासों से यह सफलता मिली। यादव ने इसके लिए लगभग 700 पेज का व्यापक दस्तावेज तैयार किया।
राजस्थान के जीआई टैग प्राप्त उत्पाद
राजस्थान के जीआई टैग प्राप्त उत्पादों को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
हस्तशिल्प (Handicrafts)
कोटा डोरिया – कोटा
ब्लू पॉटरी – जयपुर
मोलेला क्ले वर्क (टेराकोटा) – मोलेला, राजसमंद
कठपुतली – राजस्थान
सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंट – जयपुर
बगरू हैंड ब्लॉक प्रिंट – जयपुर
थेवा कला – प्रतापगढ़
पोकरण पॉटरी – पोकरण, जैसलमेर
नाथद्वारा की पिछवाई कला – नाथद्वारा, राजसमंद
उदयपुर की कोफ्तगारी मेटल क्राफ्ट – उदयपुर
बीकानेर की कशीदाकारी क्राफ्ट – बीकानेर
जोधपुर की बंधेज क्राफ्ट – जोधपुर
बीकानेर की उस्ता कला – बीकानेर
फुलकारी (पंजाब और हरियाणा के साथ संयुक्त रूप से)
खाद्य सामग्री (Foodstuffs)
बीकानेरी भुजिया – बीकानेर
केर-सांगरी – राजस्थान
प्राकृतिक उत्पाद (Natural Products)
मकराना का संगमरमर – मकराना, नागौर
सोजत की मेहंदी – सोजत, पाली
नोट: ब्लू पॉटरी, कठपुतली, कोटा डोरिया और मोलेला क्ले वर्क के लोगो को भी अलग से जीआई टैग प्राप्त है, जिन्हें मिलाकर कुल संख्या 22 होती है।