Rajkumar
Published: Oct 2 | Updated: Oct 3

आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार 2025 का उद्देश्य आयुर्वेद के विभिन्न आयामों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित करना है। यह पुरस्कार आयुर्वेद की शास्त्रीय परंपरा, पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और आधुनिक वैज्ञानिक नवाचार के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु का काम करता है।

पुरस्कार विजेताओं का विस्तृत विवरण

प्रोफेसर बनवारी लाल गौड़ 

  • योगदान: एक प्रतिष्ठित विद्वान और शिक्षाविद् के रूप में प्रोफेसर गौड़ ने आयुर्वेद शिक्षा और संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में छह दशकों से अधिक समय तक सेवा दी है।
  • शैक्षणिक प्रभाव: उन्होंने 31 पुस्तकों और 300 से अधिक अकादमिक कार्यों का लेखन किया है, जिसमें 319 प्रकाशन संस्कृत में हैं। उनके मार्गदर्शन में 24 पीएचडी विद्वानों और 48 स्नातकोत्तर छात्रों ने आयुर्वेद के भविष्य को आकार देने में मदद की है।
  • सम्मान: उन्हें उनके साहित्यिक और शैक्षिक योगदान के लिए पूर्व में भी कई राष्ट्रीय सम्मान, जैसे राष्ट्रपति सम्मान, मिल चुके हैं।

वैद्य नीलकंधन मूस ई.टी. 

  • आयुर्वेदिक विरासत: वैद्य नीलकंधन मूस ई.टी. वैद्यरत्नम समूह के प्रमुख हैं, जो 200 साल पुरानी आयुर्वेदिक विरासत की आठवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • व्यापक पहुंच: वह 100 से अधिक चिकित्सकों की एक टीम का नेतृत्व करते हैं और उन्होंने केरल की शास्त्रीय आयुर्वेदिक पद्धतियों को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • सामुदायिक पहल: उनकी पहल में ‘मर्मयानम’ और ‘वज्र’ जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और पंचकर्म पर एक व्यावहारिक पुस्तिका शामिल है।

वैद्य भावना प्रशर

  • आयुर्जीनोमिक्स में अग्रणी: सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) की वैज्ञानिक वैद्य प्रशर को आयुर्जीनोमिक्स के क्षेत्र में उनके अग्रणी कार्य के लिए सम्मानित किया गया।
  • आधुनिक विज्ञान के साथ तालमेल: उनका शोध पारंपरिक आयुर्वेदिक अवधारणाओं जैसे प्रकृति और त्रिदोष को आधुनिक जीनोमिक विज्ञान के साथ जोड़ता है, जिससे भविष्य में व्यक्तिगत स्वास्थ्य देखभाल में प्रगति हो सकती है।
  • एआई-आधारित विश्लेषण: उनके एआई और मशीन लर्निंग पर आधारित प्रकृति विश्लेषण प्रोटोकॉल को ‘राष्ट्रीय प्रकृति परीक्षण कार्यक्रम’ जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में एकीकृत किया गया है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में आयुर्वेद का दायरा बढ़ रहा है।

पुरस्कार समारोह और महत्व

  • ये पुरस्कार गोवा के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में आयोजित 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर प्रदान किए गए।
  • आयुष मंत्रालय द्वारा स्थापित यह पुरस्कार, पारंपरिक भारतीय चिकित्सा के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मानों में से एक है।
  • इसका उद्देश्य आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार, संरक्षण और उन्नति में योगदान देने वाले व्यक्तियों को प्रोत्साहित करना है।
  • इन पुरस्कारों के माध्यम से भारत सरकार पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान को संरक्षित रखने और उसे आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है