Rajkumar
Published: Oct 1 | Updated: Oct 2

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2025-26 से 2030-31 तक दलहन आत्मनिर्भरता मिशन को मंजूरी दी है। इस मिशन का उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ाकर देश को दालों में आत्मनिर्भर बनाना है। यह पहल 11,440 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ अगले छह वर्षों तक लागू की जाएगी।

मिशन के मुख्य लक्ष्य

  • उत्पादन बढ़ाना: मिशन का लक्ष्य 2030-31 तक दालों का उत्पादन 350 लाख टन तक बढ़ाना है, जिससे आयात पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। वर्तमान में, भारत को अपनी मांग का 15-20% आयात करना पड़ता है।
  • किसानों को लाभ: इस मिशन से 2 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ होने की उम्मीद है। किसानों को उन्नत बीज, कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और सुनिश्चित खरीद से फायदा मिलेगा।
  • आयात घटाना: घरेलू उत्पादन बढ़ने से भारत दालों के आयात पर होने वाले खर्च में कटौती कर पाएगा, जिससे विदेशी मुद्रा का संरक्षण होगा।
  • मिशन के तहत कार्यनीतियाँ
  • फोकस फसलें: मिशन विशेष रूप से तुअर (अरहर), उड़द और मसूर जैसी प्रमुख दालों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • सुनिश्चित खरीद: किसानों को भरोसा दिलाने के लिए नैफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) जैसी सरकारी एजेंसियाँ पंजीकृत किसानों से इन दालों की 100% खरीद करेंगी। यह खरीद अगले चार वर्षों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर की जाएगी।
  • उन्नत बीज और तकनीक: किसानों को उच्च उत्पादकता वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-अनुकूल किस्मों के उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • बुनियादी ढाँचा: मिशन के तहत लगभग 1,000 नई पैकेजिंग और प्रोसेसिंग इकाइयाँ स्थापित की जाएँगी।
  • क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण: यह मिशन क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण अपनाएगा, जिससे संसाधनों का प्रभावी आवंटन होगा।

अन्य जानकारी

  • यह मिशन वर्ष 2025-26 के बजट में घोषित किया गया था।
  • इस पहल से खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय में सुधार होगा।
  • यह आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।