बार्सिलोना में सांस्कृतिक नीतियों और सतत विकास पर यूनेस्को विश्व सम्मेलन – मॉन्डियाकल्ट 2025 का समापन समारोह 1 अक्टूबर, 2025 को संपन्न हुआ। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में दुनिया भर से 160 से अधिक देशों के संस्कृति मंत्रियों ने भाग लिया, जिसमें संस्कृति को विकास और शांति के लिए एक वैश्विक सार्वजनिक साधन के रूप में स्थापित करने पर ज़ोर दिया गया।
मॉन्डियाकल्ट 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व
- समापन समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व संस्कृति मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव सुश्री अमिता प्रसाद सरभाई ने किया, जो भारत के संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से शामिल हुईं।
- भारत के संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 29 सितंबर, 2025 को उद्घाटन समारोह और मंत्री स्तरीय प्लेनरी सत्र में भाग लिया था।
- इस सम्मेलन के दौरान मंत्री शेखावत ने एशिया-प्रशांत समूह के सह-अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्ष
- सांस्कृतिक अधिकारों पर बल: समापन समारोह में एक घोषणापत्र अपनाया गया, जिसमें सांस्कृतिक अधिकारों को सार्वजनिक नीतियों के केंद्र में रखने का संकल्प लिया गया।
- सतत विकास एजेंडा: प्रतिभागियों ने 2030 के बाद के संयुक्त राष्ट्र विकास एजेंडे में संस्कृति को एक विशिष्ट लक्ष्य के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव रखा।
- एआई और रचनात्मकता: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के प्रभावों से रचनाकारों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश स्थापित करने की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई।
- शांति और संवाद: संस्कृति को शांति के लिए संवाद के एक चालक के रूप में बढ़ावा देने की बात पर भी जोर दिया गया।
- नागरिक मंच ‘अगोरा सिविका‘
- मॉन्डियाकल्ट के समानांतर बार्सिलोना सिटी काउंसिल और अन्य संस्थानों द्वारा ‘अगोरा सिविका’ नामक एक नागरिक मंच का आयोजन किया गया।
- इस मंच में 8,200 से अधिक प्रतिभागियों ने 120 से अधिक गतिविधियों में हिस्सा लिया, जिसमें सांस्कृतिक अधिकारों और सतत विकास जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
- मंच के निष्कर्षों को मॉन्डियाकल्ट के समापन समारोह में प्रस्तुत किया गया, जिसमें संस्कृति को एक स्वतंत्र विकास लक्ष्य बनाने की मांग भी शामिल थी।
भविष्य की राह
- यह सम्मेलन एक बाध्यकारी निर्णय के बजाय इरादे की घोषणा के साथ समाप्त हुआ, जो अगले पांच वर्षों के लिए सांस्कृतिक नीतियों का मार्गदर्शन करेगा।
- इसका उद्देश्य भविष्य में सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करना और वैश्विक चुनौतियों के प्रति संस्कृति की भूमिका को बढ़ाना है।