विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) हर साल 10 अक्टूबर को वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और मानसिक कल्याण के लिए समर्थन जुटाना है। इस दिवस की शुरुआत 1992 में वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (WFMH) की पहल पर हुई थी।
वर्ष 2025 में यह दिवस विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका फोकस मानवीय आपात स्थितियों (Humanitarian Emergencies) पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे समग्र कल्याण (overall well-being) का एक मूलभूत हिस्सा है। उन्होंने आत्मचिंतन और दूसरों के प्रति करुणा (compassion) के महत्व को रेखांकित किया और ऐसे वातावरण के निर्माण के लिए सामूहिक प्रयासों का आग्रह किया जहां मानसिक स्वास्थ्य पर विचार-विमर्श को मुख्यधारा में लाया जाए।
यह दिवस भारत के लिए नीति और कार्यान्वयन के बीच की खाई को पाटने के लिए एक जनादेश प्रदान करता है, खासकर संकटों के दौरान जनसंख्या के मनोवैज्ञानिक कल्याण की रक्षा करने के संदर्भ में।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम (WMHD 2025 Theme)
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025 का विषय (थीम) “मानवीय आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य” (Mental Health in Humanitarian Emergencies) है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation—WHO) का अनुमान है कि संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में लगभग पांच में से एक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का अनुभव करता है।
मनोवैज्ञानिक सहायता को अब केवल राहत के बाद की गतिविधि नहीं, बल्कि एक जीवन रक्षक हस्तक्षेप (life-saving intervention) के रूप में देखा जाना चाहिए।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर चुनौतियाँ (India’s Severe Mental Health Challenges)
स्वास्थ्य संकट: WHO के अनुसार, भारत का मानसिक स्वास्थ्य बोझ प्रति 100,000 जनसंख्या पर 2443 विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (DALYs) है।
आत्महत्या दर: भारत में आयु-समायोजित आत्महत्या दर (age-adjusted suicide rate) प्रति 100,000 जनसंख्या पर 21.1 है। आत्महत्या के कारण हर साल 727,000 से अधिक लोगों की जान जाती है।
कार्यबल संकट (Workforce Crisis): भारत में प्रति 100,000 लोगों पर केवल 0.75 मनोरोग विशेषज्ञ (Psychiatrists) हैं, जबकि WHO का न्यूनतम मानदंड 1.7 है। नर्सों, मनोवैज्ञानिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भी भारी कमी है।
उपचार अंतराल (Treatment Gap): गंभीर बीमारी से पीड़ित चार में से पांच से अधिक व्यक्तियों को औपचारिक देखभाल नहीं मिल पाती है। उपचार अंतराल 70% से 92% तक है, जिसका मुख्य कारण कलंक (stigma) और उच्च लागत है।
आपदाओं का मनोवैज्ञानिक प्रभाव: 2013 उत्तराखंड आपदा के बाद 58% उत्तरजीवियों में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) दर्ज किया गया था।
भारत सरकार की प्रमुख पहलें और समाधान (India’s Key Initiatives and Solutions)
भारत ने मानसिक स्वास्थ्य कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाने के लिए कई संरचनाएं स्थापित की हैं:
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम (Mental Healthcare Act – MHA) 2017: यह सेवा प्रावधान के लिए अधिकार-आधारित दृष्टिकोण (rights-based approach) को बनाए रखता है और आत्महत्या को गैर-आपराधिक घोषित (decriminalized suicide) करता है।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP): यह 1982 से कार्यरत है और कमजोर आबादी के लिए न्यूनतम मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करता है।
टेली-मानस (Tele-MANAS): भारत का डिजिटल समाधान
यह राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Tele-Mental Health Programme) है, जो MHPSS (मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक समर्थन) हस्तक्षेप प्रदान करने के लिए एक स्केलेबल समाधान है।
अप्रैल 2025 तक यह कार्यक्रम 20 भाषाओं में 24×7 सहायता प्रदान करता है और 20 लाख से अधिक कॉल संभाल चुका है।
यह दो-स्तरीय प्रणाली (Two-tier system) पर काम करता है, जिसमें परामर्शदाता (counsellors) और विशेषज्ञ (clinical psychologists/psychiatrists) शामिल होते हैं। हेल्पलाइन नंबर 14416 है।
डीएमएचपी (District Mental Health Program): इसे 767 जिलों में अनुमोदित किया गया है और यह सामुदायिक-आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करता है।
NIMHANS की भूमिका: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो-साइंसेज (NIMHANS) आपदा प्रबंधन में मनोसामाजिक समर्थन के लिए नोडल केंद्र के रूप में कार्य करता है।
नीतिगत सिफारिशें (Policy Recommendations)
2025 के जनादेश के अनुसार, भारत को प्रणालीगत समायोजन की आवश्यकता है:
आपदा प्रबंधन में MHPSS का एकीकरण: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सभी आपदा प्रबंधन योजनाओं में MHPSS न्यूनतम सेवा पैकेज सिद्धांतों (MHPSS Minimum Service Package principles) को एकीकृत करना चाहिए।
कार्यबल स्थिरीकरण: लक्ष्य यह होना चाहिए कि पांच वर्षों के भीतर प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर तीन से पांच मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर हों।
लक्षित समर्थन:किसानों, गृहिणियों, छात्रों और दुर्व्यवहार से बचे लोगों सहित उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए विशेष आउटरीच की आवश्यकता है।