प्रमुख शासन सचिव, आयुष विभाग सुबीर कुमार की अध्यक्षता में 15 सितम्बर, 2025 को ‘आयुष्मान आदर्श ग्राम योजना’ की राज्य स्तरीय समिति की बैठक हुई।
इस योजना का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति, जैसे आयुर्वेद, को बढ़ावा देना है।
इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में राज्य के प्रत्येक जिले की पांच पंचायतों में 210 ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ के माध्यम से संचालित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
योजना का उद्देश्य और कार्यप्रणाली
मुख्य उद्देश्यः पारंपरिक चिकित्सा (आयुर्वेद) के सिद्धांतों के माध्यम से स्वास्थ्य संवर्धन करना।
पायलट प्रोजेक्टः प्रत्येक जिले की पांच पंचायतों को मिलाकर कुल 210 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के साथ इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा।
चिकित्सा दृष्टिकोणः इस योजना के तहत मरीजों की प्रकृति (वातपित्तकफ) को समझकर रोगों की रोकथाम के लिए पहले से ही औषधि और डाइट चार्ट प्रदान किए जाएंगे।
प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सुझाव
विशेष वितरणः महिलाओं और बच्चियों में खून की कमी दूर करने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का वितरण किया जाएगा।
स्वर्ण प्राशनः 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली विशेष औषधि ‘स्वर्ण प्राशन’ दी जाएगी।
गर्भवती महिलाओं के लिए पोषणः गर्भवती महिलाओं और प्रसूता महिलाओं के लिए विशेष लड्डू (पोषण) का वितरण किया जाएगा।
जनभागीदारीः ग्राम स्तर पर सरपंचों को योजना में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, खासकर उन गाँवों को शामिल किया जाएगा जहाँ ‘मॉडल सरपंच’ हैं।
अंतरविभागीय सहयोग और प्रोत्साहन
समन्वयः योजना को सफल बनाने के लिए पंचायती राज, आयुष, चिकित्सा स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, सूचना एवं जनसंपर्क और वन विभाग जैसे कई विभाग मिलकर काम करेंगे।
प्रोत्साहन राशिः जो ग्राम पंचायतें निर्धारित 18 सूचकांकों को पूरा करेंगी, उन्हें राज्य सरकार द्वारा “ 11 लाख की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।