Lok Chand Gupta
Published: Dec 16 | Updated: Dec 16

भारत सरकार द्वारा हाल ही में ‘शांति विधेयक’ (SHANTI Bill) को मंजूरी दी है, इस विधेयक का संबंध परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधारों से है। SHANTI का पूरा नाम है- Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India.

SHANTI विधेयक क्या है?

यह विधेयक भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी क्षेत्र (Private Sector) के लिए खोलने का एक ऐतिहासिक कानून है। अब तक परमाणु ऊर्जा का उत्पादन, प्रबंधन और ईंधन का कार्य पूरी तरह से सरकार के अधीन (परमाणु ऊर्जा विभाग – DAE) था। इस विधेयक के माध्यम से सरकार ने उस एकाधिकार को समाप्त कर दिया है।

विधेयक के मुख्य प्रावधान

  • निजी निवेश को मंजूरी: अब निजी कंपनियां परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Nuclear Power Plants) स्थापित कर सकेंगी और उनमें निवेश कर सकेंगी।
  • संपूर्ण वैल्यू चेन में भागीदारी: निजी कंपनियों को न केवल बिजली बनाने, बल्कि परमाणु खनिजों की खोज, खनन और ईंधन निर्माण (fuel fabrication) जैसे संवेदनशील कार्यों में भी शामिल होने की अनुमति मिलेगी।
  • एकल कानूनी ढांचा: यह विधेयक पुराने कानूनों (जैसे परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962) में सुधार कर एक एकीकृत और स्पष्ट कानूनी ढांचा (Single Legal Framework) प्रदान करेगा, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।
  • नियामक प्राधिकरण: परमाणु सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्राधिकरण और विवादों के लिए एक ट्रिब्यूनल बनाने का भी प्रस्ताव है।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • ऊर्जा सुरक्षा: भारत का लक्ष्य वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट (GW) परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। सरकार का मानना है कि यह लक्ष्य केवल सरकारी प्रयासों से पूरा नहीं हो सकता, इसके लिए निजी पूंजी और तकनीक की आवश्यकता है।
  • स्पेस सेक्टर जैसी क्रांति: जिस तरह स्पेस सेक्टर को निजी कंपनियों के लिए खोला गया, उसी तरह सरकार परमाणु क्षेत्र में भी ‘स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स’ (SMRs) जैसी नई तकनीकों को बढ़ावा देना चाहती है।

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